Akbar Birbal Ki Kahani: एक समय की बात है जब बादशाह अकबर को बीरबल की किसी बात को लेकर बहुत गुस्सा आया था तो उन्होंने बीरबल को राज्य से बाहर जाने का आदेश दे दिया।
अपने बादशाह के आदेश का पालन करते हुए बीरबल बादशाह अकबर के राजदरबार और राज्य को छोड़कर चला जाता है और पास के ही किसी राज्य में अपना वेश बदलकर रहने लगता है। बीरबल दूसरे राज्य में एक ब्राह्मण के वेश में रहता है।
इस बात में कोई संदेह नहीं है की बीरबल बादशाह अकबर के बहुत प्रिये थे। कुछ समय के बाद जब अकबर का गुस्सा शांत होता है तो उनको बीरबल की याद आती है।
अगर बीरबल की बात की जाए तो वह बादशाह अकबर के दरबार की शान था। वो बड़ी आसानी और अपनी चतुराई से किसी भी समस्या का समाधान आसानी से निकाल लेता था। जिसकी वजह से कभी भी अकबर को अपनी राजनीति और अपने राज्य की समस्याओं को सुलझाने में दिक्कत नहीं आई। बीरबल की इसी खाशियत की वजह से बादशाह अकबर बीरबल के इतने करीब थे और वो उनके राजदरबार के सबसे प्रिये व्यक्ति थे।
जब से बीरबल ने बादशाह अकबर के दरबार को छोड़ा था तब से बादशाह अकबर को बहुत सारे फैसले लेने में बीरबल की सलाह की कमी महसूस होती थी। जब अकबर को बीरबल कि ज्यादा याद आने लगी तो उसने अपने सिपाहियों को बीरबल को तलाश करने के लिए भेजा।
बादशाह अकबर का आदेश मिलते ही अनेकों सिपाही बीरबल की तलाश में निकल पड़े लेकिन वो बीरबल को ढूंढ नहीं पाए। जैसे जैसे समय बीतता गया और बादशाह अकबर को बीरबल को कमी हद से ज्यादा महसूस होने लगी तो उसे आसपास के सभी राज्यों में अपने सिपाहियों को बीरबल की तलाश करने के लिए भेजा।
बीरबल की तलाश करते करते महीनो बीत गए लेकिन बादशाह अकबर के सीपाही बीरबल को नहीं ढूंढ पाए। अंत में बादशाह अकबर को एक योजना सूझी क्यूंकि वो जानते थे की बीरबल बहुत चतुर है तो वो अपने आप को आसानी से छुपा सकता है लेकिन जब कोई समस्या हो और उसके समाधान की बात आये तो बीरबल जरूर आगे आता है।
अगले ही दिन बादशाह अकबर ने अपने और आसपास के सभी राज्यों में घोषणा करवाई की जो भी व्यक्ति आधी धुप और आधी छाँव में रहते हुए बादशाह अकबर के समक्ष आएगा उसको सोने के 1000 सिक्के इनाम के तौर पर दिए जाएंगे।
इस घोषणा के बाद सभी अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाने लगे और ऐसे घूमते घूमते ये घोषणा बीरबल के पास भी चली गयी। इस घोषणा को जानकार बीरबल बादशाह अकबर के सवाल-जवाब को समझ गए।
बीरबल ने एक गरीब आदमी को अपने पास बुलाया और उसको बादशाह द्वारा की गयी घोषणा का उपाय बताते हुए कहा की तुम अपने सर पर एक चारपाई लेकर चले जाना, इस से तुम आधी धुप और आधी छाँव में बादशाह अकबर के सामने पहुंच जाओगे।
उस गरीब व्यक्ति ने बीरबल द्वारा बताई गयी बात का अनुशरण किया और अपने सर पर चारपाई लेकर बादशाह अकबर के समक्ष पहुंच गया और बोला की हुजूर मैं आपके सामने आधी धुप और आधी छाँव में रहते हुए आया हूँ , मुझे 1000 सोने सिक्के का इनाम दिया जाए।
बादशाह अकबर यह समझ चुके थे की ये तरकीब जरूर बीरबल ने बताई होगी, इसलिए उन्होंने उस गरीब आदमी से पूछा की तुम्हे ये तरकीब किसने बताई है।
जहाँपनाह, मेरे राज्य में कुछ महीने पहले ही एक ब्राह्मण आया है जो की बहुत चतुर और कल्याणकारी है। उन्होंने ही मुझे आपके पास भेजा है और इनाम लाने के लिए कहा है। ऐसा सुनकर अकबर को यह सुनिश्चित हो गया की वो अवश्य ही बीरबल है।
बादशाह अकबर ने उस गरीब आदमी को 1000 सोने के सिक्के इनाम के रूप में भेंट किये और अपने सिपाहियों को उस ब्राह्मण को उनके राजदरबार में प्रस्तुत करने का आदेश दिया।
बीरबल के कारण ही उस गरीब आदमी का भला हो गया और अगले ही दिन बादशाह अकबर के सिपाही बीरबल यानी की उस ब्राह्मण को उनके दरबार में ले आये। बीरबल को वापिस अपने राज्य में देखकर अकबर और दरबार के अन्य सदस्य बहुत खुश हुए। बादशाह अकबर ने एक बार फिर बीरबल को अपने राजदरबार का मुख्य सलाहकार बना दिया।
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इस कहानी से मिलने वाली शिक्षा
इस कहानी से हमे ये सीखें चाहिए की चाहे परिस्थितियाँ कुछ भी हो, हमें हमेशा खुश रहने के लिए तत्पर रहना चाहिए और दूसरों की मदद करते रहना चाहिऐ ताकि हमारे साथ भी सब अच्छा हो । इस बात को हमेशा याद रखना चाहिए की सुख और दुःख हमारी सोच पर निर्भर करता है ना कि परिस्थितियों पर।
मैं उम्मीद करता हूँ की आपको Akbar Birbal Ki Kahani: आधी धूप आधी छाँव पसंद आयी होगी। मैं आपसे एक छोटी सी गुजारिश जरूर करना चाहूंगा की इस कहानी को अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ जरूर सांझा करे। धन्यवाद !