Akbar Birbal Ki Kahani: एक समय की बात है की बादशाह अकबर और सहजादे ने वेश बदलकर अपने राज्य के भ्रमण की योजना बनाई और वो चाहते थे की बिना किसी को कोई खबर करें वो ऐसा करें। लेकिन फिर उन्होंने सोचा की क्यों ना बीरबल को भी साथ में ले लिया जाए।
बादशाह अकबर ने बीरबल को अपने पास बुलवाया। बीरबल तुरंत बादशाह अकबर के सामने हाजिर हो गया और फिर बादशाह अकबर ने उनको अपनी राज्य भ्रमण की योजना बताई। इस योजना के लिए बीरबल ने भी हामी भर दी और बादशाह अकबर ने बीरबल को भी वेश बदलकर चलने के लिए कहा ।
अगले ही सुबह बादशाह अकबर, सहजादा और बीरबल वेश बदलकर राज्य घूमने के लिए निकल पड़े और जो बादशाह और सहजादे का सामान था वो बीरबल के कंधो पर लाद दिया।
बीरबल के कन्धों पर सामान लादकर बादशाह अकबर और सहजादा मस्ती से राज्य में घूमने लगे और बीरबल एक गधे की तरह उनका सामन लेकर चल रहा था।
बीरबल की ऐसी हालत देखकर बादशाह अकबर ने बीरबल के मज़्ज़े लेने के लिए कहा की लग रहा है आज तुम पर एक गधे का बोझ रख दिया गया है।
इस बात पर बीरबल ने तुरंत जवाब दिया की जहाँपनाह एक गधे का नहीं दो गधों का बोझ मुझ पर लाद दिया गया है।
बीरबल की इस बात को बादशाह अकबर समझ गए की बीरबल ने गधा किसको कहा है। इसलिए उन्होंने तुरंत अपने सिपाहियों को बुलाया और बीरबल के कंधो से सारा बोझ उतार दिया।
इस प्रकार से बीरबल ने आज फिर अपनी चतुराई का इस्तेमाल करके अपने ऊपर लदा बोझ उतरवा दिया और साथ साथ ही बादशाह अकबर को भी ये बात समझा दी की किसी व्यक्ति को अपना बोझ दूसरे के कंधो पर नहीं डालना चाहिए यानी की अपने काम स्वयं करने चाहिए ।
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इस कहानी से मिलने वाली शिक्षा
इस कहानी से हमे ये शिक्षा मिलती है की इंसान को अपने काम स्वयं करने चाहिए यानी की पाने काम का बोझ या अपनी जिम्मेवारियों को किसी दूसरे पर नहीं डालनी चाहिए। मैं उम्मीद करता हूँ की आपको Akbar Birbal Ki Kahani: दो गधों का बोझ पसंद आयी होगी। मैं आपसे एक छोटी सी गुजारिश जरूर करना चाहूंगा की इस कहानी को अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ जरूर सांझा करे। धन्यवाद !