Badi lakdi Aur Chhoti Lakdi – Akbar Birbal Ki Kahani: एक समय की बात है बादशाह अकबर और बीरबल शाही बाग़ में टहल रहे थे क्यूंकि उस दिन का मौसम बहुत सुहावना था। बादशाह अकबर को चलते चलते एक बड़ी लकड़ी का टुकड़ा दिखाई दिया और उसको देखकर उनके दिमाग में एक सवाल आया।
बादशाह अकबर ने तुरंत बीरबल को कहाँ की बीरबल तुम इस बड़ी लकड़ी के टुकड़े को बिना काटे छोटा करके दिखाओं।
बादशाह अकबर का ये सवाल सुनकर बीरबल मंद मंद मुस्कुराये और बोले की जहाँपनाह आप आज फिर मेरी बुद्धिमत्ता की परीक्षा लेना चाहते है। क्यूंकि अक्सर बादशाह अकबर बीरबल से पहेलियाँ पूछते रहते थे।
बीरबल ने थोड़ी देर सोचा और फिर बाग़ में इधर उधर देखा।
फिर बीरबल ने बाग़ में पड़ी एक बहुत बड़ी लकड़ी को उठाया और बादशाह अकबर के द्वारा बताई गई लकड़ी के पास रख दी।
और फिर बीरबल बहुत उतावलेपन से बोले की जहाँपनाह देखो मैंने आपके द्वारा दी गई लकड़ी को बिना काटे छोटा कर दिया।
फिर बादशाह अकबर ने दोनों लकड़ियों को देखा तो बादशाह अकबर द्वारा बताई गई लकड़ी छोटी लग रही थी। यह देखकर बादशाह अकबर बीरबल की चतुराई को समझ गए और बहुत खुश हुए।
बादशाह अकबर ने कहा की वाह बीरबल तुम तो मेरी सोच से बढ़कर चतुर हो और मैं जानता था की तुम इस पहेली को बड़ी आसानी से सुलझा सकते हो।
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इस कहानी से मिलने वाली सीख
इस कहानी से हमको शिक्षा मिलती है की समस्या चाहे कितनी भी बड़ी हो अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके उसको सुलझाया जा सकता है। इसलिए जब भी कोई समस्या आये तो परेशान होने से बेहतर है उसको अपनी बुद्धि के इस्तेमाल से सुलझाने की कोशिश करें।
मैं उम्मीद करता हूँ की आपको Akbar Aur Birbal Ki Kahani: Badi Lakdi Aur Chhoti Lakdi पसंद आयी होगी। मैं आपसे एक छोटी सी गुजारिश जरूर करना चाहूंगा की इस कहानी को अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों के साथ जरूर सांझा करे। धन्यवाद !