एक बार की बात है बीरबल इराक जाने के लिए काफी उत्सुक था क्यूंकि बीरबल को दूसरे देश की संस्कृति, उनके रहन -सहन , आदि जानने में बहुत उत्सुकता रहती थी ।

अपनी इसी उत्सुकता को पूरा करने के लिए बीरबल एक दिन सुबह सुबह अपने साथ कुछ सिपाहियों को लेकर इराक की ओर चल पड़ा।

बीरबल की बुद्धिमता के काफी चर्चे थे तो इराक में बीरबल की खूब खातिरदारी हुई ओर इराक के बादशाह ने बीरबल ले अपनी राजनीती ओर अपनी प्रजा की समस्याओं को लेकर काफी राय भी मांगी।

इराक का बादशाह, बीरबल से जिस किसी भी समश्या के समाधान के लिए राय मांगता तो बीरबल उसका एकदम सूज बुझ के साथ सटीक समाधान बताते। बीरबल के जवाब सुनकर इराक के बादशाह समेत दरबार में बैठे उनके मंत्रीगण एवं अन्य सदस्य भी अत्यंत खुश थे ओर सब सब बीरबल की चतुराई के लिए वाह-वाह कर रहे थे।

ऐसे माहौल को देखते हुए इराक के बादशाह ने बीरबल से एक अत्यंत कठिन सवाल पूछने की सोची।

कठिन सवाल में इराक के बादशाह ने पूछा की अगर आपको इराक के बादशाह ओर हिंदुस्तान के बादशाह की तुलना करने के लिए कहा जाए तो आपका जवाब क्या होगा ?

इस सवाल को जानकर बीरबल ने पहले तो थोड़ी देर के लिए सोचा ओर फिर मुस्कुराते हुए बोले की मैं अपने बादशाह को दूज के चाँद की तरह देखता हु ओर इराक के बादशाह को पूनम के चाँद की तरह जो की बहुत सूंदर ओर सुशिल होता है।

इतना सुनते ही इराक के बादशाह अपनी तारीफ़ सुनकर अत्यधिक प्रश्न हुए और बीरबल को अनेक उपहार, कपडे और बहुत सारा धन देकर हिंदुस्तान के लिए विदा किया।

बीरबल के हिंदुस्तान पहुंचने से पहले ही दूज के चाँद वाली बात तब तक अकबर के कानो तक पहुंच चुकी थी। और यह जानकार अकबर बीरबल से काफी नाराज और गुस्सा थे।

अपने राज्य में आकर जब बीरबल बादशाह अकबर से मिलने दरबार में गए तो अकबर बीरबल से काफी खफा नज़र आये। जब बीरबल ने बादशाह अकबर से नाराजगी का कारण पूछ था अकबर ने गुस्से में बोला की तुमने अपने बादशाह को दूज का चाँद और इराक के बादशाह को पूनम का चाँद बताया, ऐसा क्यों ?

बादशाह अकबर के गुस्से को देखकर बीरबल तुरंत बोले की जहापनाह ! मैंने आपको दूज का चाँद इसलिए कहा की दूज का चाँद सबको प्रिय होता है और सब उसके दर्शन करना चाहते है। दूज का चाँद हर रोज़ धीरे धीरे बढ़ता है जो की हमेशा बढ़ते रहने के संकेत है। मैंने आपको दूज का चाँद इसलिए कहा की यह आपके पराक्रम और कीर्ति को दर्शाता है जिस से आप अपने राज्य को दिन दोगुना और रात चौगुना बढ़ा रहे है। दूज का चाँद गौरव का प्रतीक है जबकि पूनम का चाँद एक दिन के लिए रहता है और धीरे धीरे हर रोज घटता है , अमावश्या को बिलकुल ही खतम हो जाता है।

जहापनाह ! अब आप ही फैसला करें की आप दूज का चाँद है या पूनम का चाँद ? बीरबल ने बड़ी उत्सुकता के साथ पूछा।

बीरबल की ये सारी बात सुनकर बादशाह अकबर मुस्कराएं और बोले की दूज का चाँद। बादशाह अकबर बीरबल के जवाब से काफी पर्सह्ण हुए और उनको उपहार, धन के साथ सम्मानित किया। साथ ही उन् लोगो की भी खबर ली जिन्होंने बीरबल के खिलाफ उनके कान भरे थे।

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शिक्षा

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा अपनी बुद्धि और अपनी वाणी का सही से उपयोग करना चाहिए ताकि हम अपनी समस्याओं को आसानी से सुलझा सके।

मैं आशा करता हु की आपको ये अकबर बीरबल की कहानी – दूज का चांद जरूर पसंद आयी होगी। ऐसी और कहानी पढ़ने के हमारे इस ब्लॉग से जुड़े रहिये और अपने दोस्तों और परिवारजनों के साथ जरूर शेयर करें।

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