Kauwon Ki Sankhya – Akbar Birbal Ki Kahani: एक समय की बात है जब राजा अकबर और बीरबल बगीचे में टहल रहे थे। उस दिन का मौसम बड़ा ही सुंदर था। बगीचे में एक तालाब भी था जिसके चारो और कई तरह के फूल भी खिले हुए थे। पक्षियों की मधुर आवाज से पूरा बगीचा चहक रहा था।
बादशाह अकबर और बीरबल इस नज़ारे का पूरा पूरा आनंद ले रहे थे।
पक्षियों की आवाज सुन राजा अकबर के मन में एक सवाल आया।
बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा “बीरबल क्या तुम जानते हो की हमारे राज्य में कुल कितने कौवे है ” ?
बीरबल ने जवाब दिया “महाराज ,मुझे राज्य में मौजूद कुल कौवे की संख्या की गणना के लिए कुछ समय चाहिए। “
कुछ दिन बीत जाने के बाद जब बीरबल दोबारा बादशाह अकबर के पास आते है। तब बादशाह अकबर ने फिर पूछा “बताओ बीरबल हमारे राज्य में कुल कितने कौवे है “?
बीरबल ने कहा “जनाब हमारे राज्य में करीब 93456 कौवे है”। बादशाह अकबर बीरबल की बाते सुन आश्चर्यचकित हो गया।
अकबर ने कहा “बीरबल यदि तुम्हारी गणना गलत हुई तो, कौवे तुम्हारी गणना से कम या ज्यादा हुए तो ?”
बीरबल ने कहा “महाराज यदि हमारे राज्य में इस गणना से ज्यादाकौवे हुए तो, कुछ कौवे अपने रिश्तेदारों के घर आए हुए होंगे। और यदि मेरी गणना से कम कौवे हुए तो कुछ कौवे अपने रिश्तेदारों के घर गए हुए होंगे।
इतना सुन महाराज मुस्कुराना शुरू कर देते है और बीरबल से कहते है “बीरबल मै समझ गया की तुम क्या कहना चाहते हो। “
इस प्रकार बीरबल ने एक बार फिर चतुराई और सूझ बुझ से बादशाह की पहेली को हल कर दिया। जिसके बाद राजा ने बीरबल को उसकी बुद्धि और चतुराई के लिए इनाम दिया और उसकी खूब प्रशंशा की।
इस तरह बीरबल ने एक बार फिर अपनी चतुराई का लोहा मनवाया।
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शिक्षा
इस कहानी से हमे यह सिख मिलती है कि जीवन में हम अपनी बुद्धि का इस्तेमाल कर अपने जीवन की सभी समस्याओ का हल ढूंढ सकते है। इस दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं जिसे हम अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करके ना कर सके। यदि आपको Kauwon Ki Sankhya – Akbar Birbal Ki Kahani से कुछ नया सिखने को मिला हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे। धन्यवाद