Best Mirza Ghalib Shayari
हम तो फना हो गए उसकी आंखे देखकर गालिब न जाने वो आइना कैसे देखते होंगे…!
मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी
उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़, वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।।
मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी
इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’ कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे।।
मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का, उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले।
मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी
कितना ख़ौफ होता है शाम के अंधेरों में, पूछ उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते…!
मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल, जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।
मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी
हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता है, वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता।
मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी
आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए, साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था…!
मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी