अगर आप Mirza Ghalib Shayari, Mirza Ghalib Sad Shayari, Mirza Ghalib Love Shayari को इंटरनेट पर Search कर रहे है तो आप एकदम सही Webpage पर आये है। आज के इस लेख में हम आपके लिए लाये है Mirza Ghalib Shayari In Hindi जिनको आप आसानी से शेयर भी कर सकते है। दोस्तों जब बात शायरी की दुनिया की आती है तो मिर्ज़ा ग़ालिब (Mirza Ghalib) को भला कौन भूल सकता है। शायरी के मामले में सबसे ज्यादा नाम कमाने वाली शख्सियत का नाम है मिर्ज़ा ग़ालिब। आइये पढ़ते है मिर्ज़ा ग़ालिब की कुछ प्रसिद्ध शायरी।
Mirza Ghalib Shayari In Hindi
हम तो फना हो गए उसकी आंखे देखकर गालिब न जाने वो आइना कैसे देखते होंगे…!
इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया, वर्ना हम भी आदमी थे काम के।
कब वो सुनता है कहानी मेरी, और फिर वो भी ज़बानी मेरी
उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़, वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।।
मरते हैं आरज़ू में मरने की मौत आती है पर नहीं आती…!
दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है, आख़िर इस दर्द की दवा क्या है।।
हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी, कुछ हमारी खबर नहीं आती…!
इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’ कि लगाये न लगे और बुझाये न बुझे।।
जब लगा था तीर तब इतना दर्द न हुआ ग़ालिब, ज़ख्म का एहसास तब हुआ जब कमान देखी अपनों के हाथ में…!
इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना, दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।।
Best of Mirza Ghalib In Hindi
हम न बदलेंगे वक़्त की रफ़्तार के साथ, जब भी मिलेंगे अंदाज पुराना होगा…!
दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई, दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई।
हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता है, वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता…!
दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ, मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ।
है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ, वर्ना क्या बात करनी नहीं आती…!
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का, उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले।
दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई, दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई…!
कितना ख़ौफ होता है शाम के अंधेरों में, पूछ उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते…!
न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता, डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता…!
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
दर्द जब दिल में हो तो दवा कीजिए, दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिए…!
ये भी जरूर पढ़े:
Shayari Of Mirza Ghalib
हाथों की लकीरों पे मत जा ऐ गालिब, नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते।
पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो चार, ये शीशा-ओ-क़दह-ओ-कूज़ा-ओ-सुबू क्या है…!
रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी, तो किस उम्मीद पे कहिये के आरज़ू क्या है।
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल, जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।
वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत है, कभी हम उनको, कभी अपने घर को देखते है…!
न शोले में ये करिश्मा न बर्क़ में ये अदा, कोई बताओ कि वो शोखे-तुंदख़ू क्या है।
हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया पर याद आता है, वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता।
तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान, झूठ जाना, कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर एतबार होता।
बेसबब मुस्कुरा रहा है चाँद, कोई साजिश छुपा रहा है चाँद…!
कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर-ए-नीम-कश को, ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता।
मेरा नाला सुना ज़माने ने, एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई।
आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए, साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था…!
मैं आशा करता हु की आपको Mirza Ghalib Shayari पर यह लेख जरूर पसंद आया होगा। अगर आपके पास भी मिर्ज़ा ग़ालिब की कोई शायरी है तो निचे कमेंट सेक्शन में जरूर शेयर करें और अपनी Best Mirza Ghalib Shayari अपने दोस्तों को जरूर शेयर करें।