Umar Badhane Wala Ped – Akbar Birbal Ki Kahani: बादशाह अकबर ने अपनी प्रजा का बहुत ध्यान रखते थे जिस वजह से उनके साम्राज्य की लगातार उन्नति हो रही थी। बादशाह अकबर के नवरत्नों की चर्चा भी आस पास के सभी राज्यों में थी।
लेकिन तुर्किस्तान के बादशाह को बादशाह अकबर की ये ख्याति बिलकुल भी पसंद नहीं आ रही थी। उनको जलन हो रही थी, की बादशाह अकबर के साम्राज्य का विकास कैसे हो रहा है। इसलिए वो बादशाह अकबर को नीचे दिखाना चाहते थे। बादशाह अकबर को निचा दिखने के लिए उन्होंने एक योजना बनाई। उन्होंने एक सन्देश के साथ अपने दूतों और सिपाहियों को बादशाह अकबर के दरबार में भेजा।
तुर्किस्तान के बादशाह का सन्देश इस प्रकार था :.
बादशाह अकबर,
मैं आशा ककरता हूँ की आप सकुशल होंगे। मैंने आपके राज्य को लेकर एक रोचक बात सुनी है। आपके राज्य में एक ऐसा पेड़ है, यदि कोई व्यक्ति सिर्फ उसके पत्ते खा लेता है तो उसकी उम्र बढ़ जाती है। यदि ये सुनी हुई बात सत्य है तो उस पेड़ के कुछ पत्ते हमारे लिए भी भिजवाए।
आपका मित्र
तुर्कीस्तान बादशाह
सन्देश पढ़ने के बाद बादशाह अकबर बहुत चिंतित हो गए क्यूंकि उनके राज्य में तो ऐसा कोई पेड़ नहीं था।
बादशाह अकबर ने बीरबल समेत सभी दरबारियों से इस सन्देश के बारे में चर्चा की और पूछा की तुर्किस्तान के बादशाह के इस सन्देश का क्या जवाब दिया जाए। सभी ने अपने दिमाग के घोड़े दौड़ाये लेकिन किसी को इसका सटीक जवाब नहीं मिला।
कुछ समय के बाद बीरबल ने कहा हुजूर इसका मेरे पास एक उपाय है।
आप दूतों और सिपाहियों को कुछ दिन के लिए किले में बंद कर के छोड़ दिया जाए। बादशाह अकबर ने जब बीरबल की बात सुनी तो उनको हैरानी हुई की ये कैसा उपाय है, लेकिन बादशाह अकबर बीरबल पर भरोसा करते थे तो उन्होंने ऐसा ही किया।
कुछ दिनों के बाद बादशाह अकबर बीरबल के साथ तुर्किस्तान से आये दूतों और सिपाहियों से मिलने किले में गए जहाँ उनको बंद करके रखा हुआ था। बादशाह अकबर और बीरबल को आता देखकर उनको लगा की अब उनको आजाद कर दिया जाएगा। लेकिन उनको देखकर बीरबल ने कहा की तुम लोगो को तब तक इस किले में बंद कर के रखा जाएगा जब तक इस किले की एक भी इट नहीं गिर जाती।
उसके बाद बादशाह अकबर और बीरबल उस किले से चले जाते है।
इतना सुनते ही सभी दूत और सिपाही उदास हो गए और अपने अपने भगवान् से प्रार्थना करने लग गए की हे भगवन हमे यहाँ से जल्दी निकाला जाए। सभी दूत और सिपाही अत्यंत चिंतित हो गए और सुबह शाम भगवान् से बस उस किले से निकलने की प्रार्थना करते।
कुछ दिन बाद उस किले में एक भूकंप आया और उस किले का एक हिस्सा गिर गया। जब बादशाह अकबर को इस बात का पता चला तो उसने तुर्किस्तान से आये दूतों और सिपाहियों को अपने दरबार में बुलाया और उनको कहाँ की आप सबको अपने बादशाह के सन्देश का पता तो है ही और मैं आशा करता हु की आपको उसका जवाब भी मिल गया होगा।
बादशाह अकबर ने कहाँ की अगर आपको अब भी जवाब समझ नहीं आया तो ध्यान से सुनो की तुम तो केवल 100 लोग हो जिनको मैंने किले में बंद किया और तुम्हारी बद्दुआ और आह से मेरे उस किले की दीवार गिर गई। तुर्किस्तान के बादशाह तो हज़ारों लोगो पर जुल्म कर रहे है तो वो अपनी उम्र बढ़ने की कैसे उम्मीद कर सकते है। उनके साम्राज्य का तो धीरे – धीरे नाश हो रहा है।
हम अपने राज्य में अपनी प्रजा को खुश रखते है , उनके खान -पान का ध्यान रखते है। मेरे राज्य में कोई भी व्यक्ति कभी भूखा नहीं सोता और ना ही किसी परेशानी का सामना करता। इसलिए मेरे राज्य की दिन दोगुनी और रात चौगुनी उन्नति हो रही है। अपने साम्राज्य में प्रजा को खुश रखना ही आयु वर्धक पेड़ है।
इस प्रकार से बादशाह अकबर ने तुर्किस्तान के दूतों और सिपाहियों को ऐसा जवाब दिया की वो उनके सामने नतमस्तक हो गए।
बादशाह अकबर ने उसके दूतों और सिपाहियों को उनके राज्य के लिए रवाना किया और कुछ खाने पीने का सामान और मुद्राये दी।
जब दूत और सिपाही तुर्किस्तान में बादशाह के दरबार में गए तो उन्होंने बादशाह अकबर एक द्वारा बताये गए सन्देश और सीख बादशाह को दी। तुर्किस्तान के बादशाह को काफी शर्मींदगी महसूस की और बादशाह अकबर के ऐसे जवाब से उनको सीख भी मिली।
उसके बाद तुर्कस्तान के बादशाह ने भी अपनी प्रजा के बारे में सोचना शुरू किया और उनकी तकलीफों में साथ देने का भरोसा भी दिलाया। उसके बाद तुर्किस्तान के बादशाह ने अकबर के लिए एक धन्यवाद करने हेतु सन्देश भी भिजवाया।
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इस कहानी से मिलने वाली सीख
इस कहानीसे हमे सीख मिलती है की अगर हम दूसरों का भला करते है तो हमारा भी भला होता है। वरना जो जैसा करता है वैसा ही भरता है। यदि आपको Umar Badhane Wala Ped – Akbar Birbal Ki Kahani पसंद आयी तो इसे अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ शेयर अवशय करे। धन्यवाद!